याद है ना मैंने पिछले हफ्ते से एक नयी सेवा शुरू करी थी जिसका नाम था दिल का बात जिसका लेबल आप मेरे साइड बार में देख सकते हो तो आज दिल की बात बचपन से जुडी है आप भी पढ़े
बचपन का जमाना होता था
खुशिंयो का खजाना होता था
चाहत चांद को पाने की दिल तितलियों का दिवाना होता था।
रोने की वजह न होती थी
हंसने का बहाना होता था
खबर ना थी कुछ सुबह की
ना शामो का ठिकाना होता था
दादी की कहानी होती थी
परिंयो का फसाना होता था
पेडो की शाखाये छुते थे
मिट्टी का खिलोना होता था
गम की जुबान ना होती थी
ना जखमो का पैमाना होता था
बारीश मे कागज की कस्ती
हर मौसम सुहाना होता था
वो खेल वो साथी होते थे
ना रिश्ता कोई निभाना होता था
बचपन का जमाना होता था
खुशिंयो का खजाना होता था
wow mayank bhaiya very nice
ReplyDeleteमयंक भाई मैंने भी आपकी ब्लॉग पर अकाउंट बनाया हुआ हे मगर मुझे तो कोई भी पोस्ट इमेल्स के जरिये नही मिलती क्या वजह हे ?
ReplyDeleteखैर बचपन की ये यादे बड़ी सुहानी लगी ,हम एक बार फिर बच्चे हो गये कुछ यादों में और कुछ तसव्वुर में .
आमिर भाई आगे से आपको मेरी हर पोस्ट मेल के जरिये मिल जाएगी मेरे ब्लॉग की फीड में कुछ प्रोब्लम आई हुई थी जिसके कारण किसी के पास भी मेल नहीं जा पा रही थी लेकिन कल मैंने वो प्रोब्लम ठीक कर दी आज से आपको मेरी हर पोस्ट की मेल मिल जाया करेगी
ReplyDeleteशुक्रिया मयंक भाई , स्वागतम
ReplyDeleteyou just touch my heart brother .
ReplyDeleteवाह वाह क्या खूब लिखा हैं लिखने वाले ने....
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