नंबर पोर्टेबिलिटी की पूरी जानकारी - mobile number portability

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ज्यादातर मोबाइल उपभोक्ता अपनी मोबाइल कंपनी से संतुष्ट नहीं रहते। खास तौर पर तब, जब दूसरी कंपनी की उससे बेहतर ऑफर्स के बारे में वे सुनते रहते हैं। इसमें सबसे ज्यादा तादाद ऐसे लोगों की है, जिन्होंने पोस्टपेड कनेक्शन ले रखे हैं। नंबर सबके पास वही है, इसलिए वे अपना कारोबार और समाज में लोकप्रिय नंबर बदलना भी नहीं चाहते।

उनकी इस बड़ी समस्या का समाधान अब ट्राई की बदौलत होने जा रहा है। अब बिना नंबर बदले मोबाइल कंपनी बदलने की सुविधा मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) शुरू हो ही गई है। हालांकि इसकी पहल हरियाणा राज्य से हुई है, लेकिन उम्मीद है कि देश के बाकी हिस्से में भी ये सुविधा नए साल की शुरुआत से मिलने लग ही जाएगी। मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सुविधा लागू होने के बाद मोबाइल ग्राहक अपना मौजूदा नंबर बदले बिना अपनी दूरसंचार कंपनी बदल सकेंगे।

इस नई सुविधा के तहत आप चाहें तो दूसरी टेक्नोलॉजी का सर्विस प्रोवाइडर चुनें या फिर अपने ही सर्विस प्रोवाइडर की दूसरी टेक्नोलॉजी, यह आपकी मर्जी। ट्राई के मुताबिक कोई भी उपभोक्ता अपने मौजूदा सर्विस प्रोवाइडर को बदलना चाहता है तो उसे अपनी पसंद के नए सर्विस ऑपरेटर के पास आवेदन करना होगा। नए सर्विस प्रोवाइडर को उपभोक्ता का आवेदन प्राप्त होने के बाद चार दिन के अंदर पोर्टिंग प्रोसेस पूरी करनी होगी।

जम्मू-कश्मीर, असम और उत्तर-पूर्व क्षेत्रों के लिए इस प्रक्रिया को पूरा करने की समय सीमा 12 दिन रखी गई है। यह सर्विस प्रोवाइडर की इच्छा पर है कि वह सेवाएं देने की एवज में 19 रुपये से कम शुल्क ले या फिर कुछ भी न ले। स्वस्थ प्रतियोगी बाजार को ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) ने यह फैसला मोबाइल सर्विस ऑपरेटरों पर छोड़ दिया है। इस व्यवस्था की खास बात यह है कि 19 रुपये का शुल्क अधिकतम शुल्क है।

एमएनपी के तहत उपभोक्ता को किसी सर्विस प्रोवाइडर से मोबाइल नंबर लेने के 90 दिन के बाद अपना सर्विस प्रोवाइडर बदलने की छूट मिलेगी। उसे वापस अपने पूर्व मोबाइल ऑपरेटर के पास जाने की भी छूट होगी। इसके लिए भी 90 दिन की समय सीमा तय की गई है। यूजर चाहे तो अपने नंबर के आवेदन को 24 घंटे के अंदर वापस भी ले सकता है। ऐसी स्थिति में लिया गया पोर्टिंग शुल्क वापस नहीं होगा।

उपभोक्ता को किसी दूसरे ऑपरेटर के पास अपना नंबर पोर्ट करने की सुविधा लेने के लिए पोस्टपेड कनेक्शन पर मौजूदा सर्विस प्रोवाइडर के बिलों के पूरे भुगतान को लेकर अंडर टेकिंग देनी होगी। मौजूदा व्यवस्था के तहत कस्टमर को अपना मौजूदा नंबर रखते हुए नया ऑपरेटर चुनने की सुविधा नहीं मिलती है। यदि कोई अपने मौजूदा मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से खुश नहीं है और उसे छोड़ कर किसी दूसरे मोबाइल ऑपरेटर की सेवा लेना चाहता है तो उसे अपना मौजूदा नम्बर भी छोड़ना पड़ता है और इससे काफी असुविधा होती है।

यदि प्रीपेड ग्राहक है तो वह जब ऑपरेटर बदलता है तो उसका टॉकटाइम उसके साथ नहीं जाता। यदि पोस्टपेड ग्राहक है तो वह तब तक ऑपरेटर नहीं बदल सकता, जब तक कि उसकी बकाया राशि चुका न दी जाए। ऑपरेटर बदलने के लिए ग्राहक को अपने फोन से एसएमएस भेजनाने के बाद वर्तमान सेवा प्रदाता कंपनी की ओर से एसएमएस के रूप में एक यूनिक पोर्टिंग कोड प्राप्त होगा। उपभोक्ता को नए सेवा प्रदाता के पास अपना नम्बर स्थानांतरित करने के लिए उस कोड के साथ एक आवेदन पत्र भरना पड़ेगा। आवेदन के चार दिनों के भीतर उपभोक्ता की मोबाइल कंपनी बदल जाती है।

इसे देखते हुए जहां मोबाइल कंपनियां अभी से अपने ग्राहकों को रोकने की तैयारी में लग गई हैं। एयरटेल, वोडाफोन, टाटा, रिलायंस समेत सभी बड़ी कंपनियों अपने हाई वैल्यू कस्टमर को दूसरी कंपनी की तरफ जाने से रोकने की कवायद में जुट गई हैं। ये कंपनियां खासतौर पर ऐसे ग्राहकों को लुभाने की योजना बना रही हैं जिनका मोबाइल बिल 500 रूपये से ज्यादा का बनता है।

मोबाइल कस्टमर को दूसरे सर्विस प्रोवाइडर के पास जाने से रोकने के लिए कंपनियां उनकी शिकायत दूर करने से लेकर डिस्काउंट ऑफर तक देने की तैयारी में हैं। दूसरी तरफ जिन कंपनियों के पास कम ग्राहक हैं, वे दूसरों के ग्राहक पटाने के लिए लुभावने प्लान देने की तैयारी कर रही हैं। ताजी खबर है कि बीएसएनएल ने अपने ग्राहकों के लिए लोकल के रेट पर एससटीडी की सुविधा देनी शुरू भी कर दी है।

टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई की गाइडलाइन्स के मुताबिक अगर कोई ग्राहक इसके लिए अप्लाई करता है तो उसके पास फैसला बदलने के लिए 24 घंटे का समय मिलेगा। कुछ कंपनियां तो इसे देखते हुए दूसरी कंपनियों से ग्राहक तोड़ने के लिए लुभावने नारे भी तैयार कर रही हैं। जल्दी ही मोबाइल उपभोक्ताओं को गैर जरूरी टेली मार्केटिंग वाले फोन अटैंड करने से भी राहत मिलेगी क्योंकि इन सभी के नंबर 700 से शुरू हुआ करेंगे।

समस्या एसएमएस की
इसके अलावा कुछ समस्याएं प्रमोशनल एसएमएस को लेकर बनी रहेंगी, और उन एसएमएस को लेकर भी जिनका माकूल जवाब देने की फिलवक्त सुविधा नहीं मिलती। अकसर ये एसएमएस नामालूम नंबर से और जवाबदेही के विकल्प से मुक्त होकर फोन पर आते रहते हैं। इन पर अंकुश लगाने के बारे में भी ट्राई को जरूरी कार्रवाई करनी चाहिए।

मोबाइल सुकून और सुविधा नाम है तो उस पर अवांछित संदेश भी क्यों उपभोक्ताओं को परेशान करें। हालत यह है कि ज्यादातर लोग अपने पहचान दस्तावेज मोबाइल ऑपरेटर के पास जमा करा चुके हैं तो भी अनजाने नंबर से कागज जमा करने का नोटिस आता रहता है। जिसका जवाब देने का विकल्प भी उपभोक्ता के पास नहीं है। ऐसे में क्या किया जाए। इसका भी समाधान खोजा जाना शेष है।

मोबाइल कंपनी बदलने के लिए ध्यान रखें
- यदि किसी मोबाइल उपभोक्ता को अपनी सेवा प्रदाता कंपनी बदलनी है तो उसके लिए उसे 1900 नंबर पर एक एसएमएस करना होगा।

- इसके बाद मौजूदा मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी मोबाइल उपभोक्ता को एक कोड देगी। इस कोड को नई कंपनी में दी गई अर्जी में लिखना होगा।

- साथ ही सिर्फ 19 रुपए शुल्क के तौर पर देने होंगे। इसके बाद 4 दिन में मोबाइल ग्राहक को नई मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी मिल जाएगी।

‘भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण’ (ट्राई) के दिशा-निर्देश के मुताबिक यदि कोई मोबाइल ग्राहक मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन करता है तो उसके पास अपना फैसला बदलने के लिए 24 घंटे का समय रहेगा।



ये जानकारी आप तक पहुचाने के लिए एक अख़बार से ली गई है

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